बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 44

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44  आरोही के वहां से जाते ही दुर्गा एक गहरी सांस लेती है और खुद को शांत करवाते हुए संवि कीबोर्ड की तरफ जाती है। संवि वार्ड के अंदर बहुत हलचल थी क्योंकि 4 दिन बाद वह अपने घर जाने वाली थी जिसकी वजह से वह बहुत ही ज्यादा खुश थी और उछल कूद कर रही थी उसे ऐसे खुश देखकर शिवाय भी बहुत खुश था, संवि के साथ आर्य भी मस्ती कर रहा था। तभी दुर्गा वार्ड का दरवाजा खोलकर अंदर आती है इस वक्त उसके चेहरे पर घबराहट और माथे पर पसीना था तो सांसें भरी हुई थी।उसकी ऐसी हालत देखकर