पिशाचनी का श्राप - 2

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धवलपुर कभी एक ऐसा गाँव था, जिसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते थे। वहाँ की अमावस्या की रातें किसी श्राप से कम नहीं थीं। वर्षों तक लोगों ने उस पुरानी हवेली से आती चीख़ों को सुना था — वो हवेली, जो अब भी गाँव के उत्तर में, पीपल के पेड़ों के झुंड के पीछे, जर्जर हालत में खड़ी थी। लोग कहते थे वहाँ एक "पिशाचनी" रहती है। न जाने कितनी औरतें गायब हुईं, न जाने कितनी माताएँ अपनी बेटियों की रक्षा के लिए हर रात जागती रहीं। लेकिन फिर वह आई — विद्या। विद्या कोई योद्धा नहीं थी,