️ एपिसोड 2: “सामना — बरसों बाद” "कुछ रिश्ते अल्फ़ाज़ नहीं, आँखों से बयान होते हैं…और कुछ मुलाक़ातें… बस चुपचाप सब कह जाती हैं।"---स्थान: पुणे – एक आलीशान कॉन्फ्रेंस हॉलघड़ी की सुइयाँ शाम के पाँच बजा रही थीं। कॉन्फ्रेंस का पहला दिन खत्म हो चुका था।रेहाना थोड़ी थकी हुई थी लेकिन मन ही मन कुछ बेचैन। जैसे कुछ होने वाला हो…वो हॉल के बाहर खड़ी थी — हल्की बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी।उसने अपना दुपट्टा सिर पर ओढ़ा और मोबाइल पर कैब बुक करने लगी।---उसी समय —एक काली SUV गेट पर आकर रुकी।दरवाज़ा खुला और आरव बाहर निकला —