(श्रिनिका की आखिरी लिखी कविता.… जो मैंने मंच पर पूरी की)मुझे अंदाज़ा नहीं था कि मेरी श्रीनिका को लिखना इस कदर पसंद था और वो अपने सारे जज़्बातों को एक डायरी में लिखा करती थीं मैने उसकी डायरी में ढेरों कविताएं पढ़ी।मेरे लिए भावुक पल थे वो जब मैने उसकी डायरी में अपने बारे में पढ़ा, उसने वो सब भी लिखा था जो वो मुझसे कभी कहती नहीं थी। मैं डायरी पढ़ता जा रहा था आंखों से समंदर बह रहा था, खुद को संभाल पाना मुश्किल था।जिसके साथ जिंदगी के हसीन ख़्वाब सजाए थे अब वो सिर्फ मेरी धड़कनों में