अगली सुबह... ऑफिसप्रकृति अपने डेस्क पर बैठी थी, पर उसका मन अब भी पिछली रात में उलझा हुआ था।कल की लड़ाई... वो आँखें... वो पागलपन... और वो चुपचाप उसकी फिक्र करना – सब उसे चैन नहीं लेने दे रहे थे।वो फाइलें पलट रही थी, लेकिन ध्यान एक भी शब्द पर नहीं था।तभी...Ridhaan ऑफिस में दाखिल होता है।सारा स्टाफ खड़ा हो जाता है, जैसे हवा थम गई हो।लेकिन प्रकृति अपनी जगह से नहीं हिलती।Ridhaan चलते-चलते उसकी तरफ एक नजर डालता है।उसकी आँखों में वो जानलेवा तेज़ नहीं, एक चुपचाप सी बेचैनी थी...जैसे वो कुछ कहना चाहता हो, पर खुद से ही