पहली तस्वीर, पहला सपना - भाग 2

भाग 2(जहाँ सपने भी सच बन जाते हैं... और चाबी सिर्फ ताला नहीं, रास्ता खोलती है।)उस रात मैं नींद में करवटें बदलती रही।लेकिन सुबह जैसे ही आँख खुली, धूप ने मुझे किसी नए फ़ैसले की ओर ढकेल दिया।चाबी अब भी मेरे हाथों में थी… और दिल में एक अजीब सी कसक।जैसे कुछ छूट गया हो, कुछ अधूरा… जिसे अब पूरा करना ज़रूरी था।---और तब मुझे याद आया... आज वही दिन है।वही दिन — जब मेरे ससुराल वाले पहली बार हमारे घर आने वाले हैं।माँ ने फिर से वही हल्के नीले रंग की जीन्स और टॉप निकाल दी।पापा ने पूछा, “सब