महाशक्ति – एपिसोड 41"प्रेम का वध और धर्म की पुकार"---️ प्रारंभ – शांत तूफ़ान से पहलेरात्रि की शांति फैली थी…अर्जुन, अनाया और ओजस अब तक की पांचों यात्राओं से थके थे।पर अब आगे था मानवकुल, जहाँना तो असुर होंगे,ना देव,बल्कि वही — जिनसे वे खुद जन्मे थे।ओजस के भीतर अब एक अजीब-सा बेचैन मौन था।शल्या की यादें… उसका स्पर्श… उसकी आँखों की उदासी…कुछ ऐसा था जो उसे अंदर से हिला रहा था।--- छाया का अधूरा अस्त्र – अब शल्या बनेगी शूलदूसरी ओर छाया अब संयम खो चुकी थी।उसने शल्या को बुलाया और कहा:> "प्रेम… तुझे भ्रमित कर रहा है।ओजस