एपिसोड 2 – वो पहली शाम---शुरुआत...शाम ढल रही थी। सूरज की आखिरी किरणें जैसे शहर की सड़कों को सोने की चादर ओढ़ा रही थीं। फ़ैजल खिड़की के पास बैठा, चाय की चुस्कियाँ लेते हुए अपनी उसी सुबह की मुलाकात के बारे में सोच रहा था – मुनावर से हुई वो मुलाकात और वो बातचीत, जो अचानक से शुरू हुई थी लेकिन जैसे बहुत पुरानी जान-पहचान हो।चाय के घूँट के साथ उसकी नज़र एक बार फिर उसी बैग पर गई जो उसने मुनावर के स्टेशन पर उतरते समय देखा था। उस बैग पर ‘नाज़’ लिखा था — नीले रंग के फूलों