अध्याय 2: अतीत की मुस्कान(जब गांव जिंदा थे)पहाड़ों की असली ख़ूबसूरती वहां की वादियों में नहीं — वहां के लोगों की मुस्कान में बसती थी। वो मुस्कान जो अब बीते हुए कल में कैद हो चुकी है।एक ज़माना था जब पहाड़ों के गांव जीवन से भरे होते थे। सुबह की पहली किरण खेतों पर पड़ती थी और घरों से धुएं के साथ उठती थी रोटियों की महक। बच्चों की चहचहाहट, और चौपाल पर बुज़ुर्गों की कहानियाँ — जैसे हर कोई अपने हिस्से की ज़िन्दगी वहां पूरी जी रहा था।गांव की सुबह — एक त्योहार जैसा दिनप्रत्येक गांव में सुबह किसी