एक बार की बात है...राजस्थान के एक शांत, धूल से भरे गाँव "कुंभसर" में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग “चौधरियों की कोठरी” कहते थे। ये हवेली अब वीरान थी, लेकिन गाँव के बुज़ुर्ग कहते थे कि कभी ये कोठरी रौनक से भरी रहती थी।पिछले पचास सालों से उस कोठरी के अंदर कोई नहीं गया था। दिन के उजाले में वो महज एक टूटी हुई इमारत लगती थी, लेकिन रात होते ही... कुछ बदल जाता था। बांसुरी की धीमी आवाज़ें, हल्की रोशनी की चमक, और कभी-कभी किसी के रोने की धुंधली सी आवाज़ गाँव के लोगों को डरा देती थी।गाँव