2012 का साल...जीवन उस समय एक साधारण सी कहानी थी।मैं अपने घर का सबसे छोटा बेटा था — छह भाई और तीन बहनों के बीच सबका लाड़ला।पापा की आंखों का तारा और अम्मी की ममता का सहारा।लेकिन उस साल... सबकुछ बदल गया।पापा इस दुनिया को छोड़ गए।ऐसी खामोशी घर में छा गई जिसे कोई तोड़ नहीं सकता था।जब सब लोग रो रहे थे, मैं चुप था... जैसे मेरे अंदर कुछ टूट कर बिखर गया हो।वो साया जो हर मुसीबत में मेरे सिर पर था — उसी दिन मुझसे छिन गया।घर का हर कोना उनकी यादों से भरा हुआ था —