महाशक्ति – एपिसोड 31प्रेम का द्वार और छल का पर्दा---अनाया के कदम महल की चौखट से बाहर निकल चुके थे, लेकिन उसका दिल वहीं अर्जुन के पास अटका रह गया था। उसकी हर साँस भारी थी, जैसे किसी अदृश्य जंजीर ने उसे बाँध रखा हो। वह जानती थी कि जो निर्णय उसने लिया है, वह केवल अपने मन की नहीं, किसी डर, किसी भ्रम की उपज है।"क्या यह वाकई मेरा निर्णय है?" उसने खुद से पूछा।रास्ते में मंदिर की घंटियाँ अब भी उसके कानों में गूंज रही थीं। दीपक की अचानक तेज़ लौ और सन्त की चेतावनी – यह