इश्क़ बेनाम - 21

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21 फिर एक निर्णय कुछ दिनों बाद जब शरद ऋतु विदा हो गई और शीत का आगमन हो गया राघवी ने आश्रम की मुख्य संचालिका साध्वी विशुद्धमति के आगे अपनी भावनाओं को उजागर कर दिया।  उसने मंजीत के साथ उनके कक्ष में पहुंच हाथ जोड़कर कहा, 'माताजी, मैं साध्वी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी मंजीत के साथ एक ऐसा रिश्ता जीना चाहती हूँ, जो प्रेम को आत्मा की शुद्धता और एकता पर आधारित रखे।' विशुद्धमति ने गंभीरता से उसकी बात सुनी। उन्होंने कहा, 'राघवी, जैन दर्शन में आत्मा ही सत्य है। वासना या देह का आकर्षण