इश्क़ बेनाम - 19

19 चाँदनी में नहायी हुई थी नदी  राघवी आश्रम में अपनी साधना और सेवा में तल्लीन बनी रहती और मंजीत अपने स्कूल में बच्चों को प्रेम, अहिंसा और नैतिकता का पाठ पढ़ाने में। पर इसके बावजूद उनकी मुलाकातें अब नियमित थीं, और उनमें वह पुरानी बेचैनी नहीं थी। दोनों के बीच एक गहरा बंधन बन चुका था- एक ऐसा बंधन जो देह के आकर्षण से परे, आत्मा की खोज में सत्य की तलाश पर आधारित था। ... रावी किनारे वह एक और शाम थी, जब चाँद की मद्धिम रोशनी नदी के पानी पर किंचित झिलमिला रही थी। सामुदायिक आयोजन के