इश्क़ बेनाम - 15

15 नया सवेरा स्कूल के 15-20 लोगों के स्टाफ में कई महिलाएँ भी थीं, मगर मंजीत अपने आप में खोया रहता था। वह बच्चों की साज-संभाल में व्यस्त रहता और प्रिंसिपल मैडम से भी बहुत कम बात करता। लेकिन स्कूल में एक बुजुर्ग महिला शिक्षिका भी थीं, बिमल कौर। वे अक्सर मंजीत के एकाकीपन और उसके चेहरे में छिपे किसी अनजाने दुख को देखकर सोच में पड़ जातीं।  एक दिन, जब स्कूल की छुट्टी के बाद मंजीत प्रांगण में अकेला बैठा था, बिमल कौर ने घर जाते-जाते उसके पास रुककर धीरे से पूछ लिया, ‘वीर जी, लगता है, तुहाडे जीवन