13 विरह ने बदली राह मंजीत का जीवन अब पहले जैसा नहीं रहा। रागिनी के साध्वी बनने की घटना ने उसका दिल जैसे चीर कर रख दिया था! कहाँ वह सोचता था कि एक दिन उसे मना लेगा, अपने प्यार की सच्चाई समझा देगा। मगर वह रास्ता, अब उसके लिए सदा को बंद हो चुका था। रागिनी, जो अब साध्वी राघवी बन चुकी थी, एक ऐसी दुनिया में चली गई थी, जहाँ मंजीत की कोई जगह नहीं थी। उसकी आँखों में बसी उसकी आखिरी छवि- मंदिर के प्रांगण में एक शांत चेहरा, सादा वस्त्र, और आँखों में वह चमक, जो