03 चौखट भीतर तूफान सुबह की धुंधली रोशनी में रागिनी अपने मन मे आशंकाओं के घटाटोप बादल लिए मरे-मरे कदमों से घर की ओर बढ़ चली...। दरवाजा खुला था। देहरी पर कदम रखते ही उसने देखा, मम्मी रसोई में थीं, लेकिन उनका चेहरा गंभीर था। पापा हॉल में अखबार लिए बैठे थे, पर उनकी आँखें अखबार पर कम, दरवाजे की ओर ज्यादा थीं। रमा दीदी, जो पिछले कुछ महीनों से बीमार थीं और बिस्तर पर ही रहती थीं, कमरे से बाहर निकलीं। उनकी नजरें रागिनी पर टिकीं, जैसे कुछ पूछने को बेताब हों। रागिनी ने चप्पलें उतार कर नजरें झुकाए