मोहब्बत के अधूरे पन्ने

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--- अध्याय 1: पहली मुलाक़ातबारिश की बूंदें गिर रही थीं जैसे आसमान भी किसी अधूरी मोहब्बत का मातम मना रहा हो।अवनि अकेली सड़क पर भीगती जा रही थी। तभी एक बाइक उसके सामने आकर रुकी।“Excuse me… छोड़ दूं कहीं?” लड़के ने पूछा।अवनि हिचकी, फिर धीरे से बोली—“नहीं… मैं ठीक हूं।”पर जब बारिश और तेज़ हो गई, तो वो लड़के की छतरी के नीचे आ गई।यहीं से उनकी कहानी शुरू हुई…नाम था उसका आरव।और उनकी पहली मुलाकात ने दिल के बंद दरवाजे खोल दिए थे।--- अध्याय 2: दिल के जज़्बातकहते हैं ना… कुछ रिश्ते बनते नहीं, बस खुद-ब-खुद जुड़ जाते हैं।अवनि