प्रकृति की आवाज़ में जो डर था, उस एक शब्द — "Mr. Raghuvanshi… रुक जाइए…" — ने रिध्दान के गुस्से को एक पल में बर्फ बना दिया।उसका हाथ हवा में ही ठहरा रह गया।फिर वो लड़का जो ज़मीन पर बेहाल पड़ा था, धीरे-धीरे रेंगता हुआ वहाँ से भाग निकला।बाकी सब भी बिखरे बालों, फटे कपड़ों और काँपते हुए हाथों के साथ भाग गए।अब वहां सिर्फ दो लोग बचे थे…एक, जिसके हाथ अब भी खून से सने थे… और दूसरी, जिसकी आँखों से बहते आँसू हर शब्द कह चुके थे।रिध्दान धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा, जैसे कुछ बोलना चाहता हो…पर अल्फाज़ गले