---प्रकृति बिना होश संभाले, पसीने से लथपथ, सड़क पर पागलों की तरह दौड़ने लगी। उसके माथे से पसीना ऐसे बह रहा था जैसे कोई पानी की धार बह रही हो। सांसें तेज़, कदम बेकाबू, आँखों में डर और दिमाग़ सुन्न।दूसरी तरफ, रिध्दान जूस का गिलास लिए धीरे-धीरे लौट रहा था कि तभी अचानक दादी उससे टकरा गईं। जूस छलक गया।दादी का चेहरा बुरी तरह घबराया हुआ था।रिध्दान (घबराई आवाज़ में): "दादी… क्या हुआ? सब ठीक तो है?"दादी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कांपती आवाज़ में पूछा: "ये… ये वही है ना?"रिध्दान एकदम हड़बड़ाया। उसका चेहरा जैसे सफ़ेद पड़ गया