दिल्ली यूनिवर्सिटी के आर्ट्स फैकल्टी में वो दिसंबर की ठंडी सुबह थी। हवा में हल्की धुंध थी, और कैंपस की कॉफी की खुशबू दूर तक जा रही थी। पेड़ों की शाखाओं पर ओस की बूंदें टिकी हुई थीं, और गलियों में सुबह की नमी अब भी सांस ले रही थी। विवान, कंप्यूटर साइंस में सेकंड ईयर का छात्र, लाइब्रेरी के सामने से गुजर रहा था, जब उसकी नजर पड़ी उस लड़की पर — कव्या। कव्या राजनीति विज्ञान की छात्रा थी। वह एक कोने में बैठकर ‘Indian Constitution’ पढ़ रही थी, और कभी-कभी आंखें उठाकर आसमान की ओर देखती थी —