माया के चक्रव्यूह को भेदने और अपनी शक्ति के मोहक भ्रम पर विजय पाने के बाद, अग्निवंश गुफा के ठंडे पत्थर पर निढाल होकर गिर पड़ा. उसका शरीर थकान से चूर था, पर मन में एक अभूतपूर्व शांति और स्पष्टता थी. बाहरी दुनिया का कोलाहल थम गया था, और ब्रह्मांड की अनंतता उसके भीतर समा गई. उसने अपने भीतर के आर्यन के तीव्र प्रतिशोध को और अग्निवंश के संतुलन की शांत इच्छा को एक अटूट सूत्र में पिरो दिया था. यह केवल एक परीक्षा में मिली जीत नहीं थी; यह एक नया जन्म था, आत्मा का अपनी पूर्णता को प्राप्त