मैंने देखा, सब कुछ तहस-नहस हो चुका था। मेरी टीम के बाक़ी सदस्यों का कोई पता नहीं था। मैंने उन्हें बहुत ढूँढा लेकिन वे नहीं मिले।मुझे तो ये भी नहीं पता था कि अब मैं यहाँ से वापस कैसे जाऊँगा। मेरी सारी उम्मीदें टूट चुकी थीं। कुछ हफ्तों तक बस मैं यही सोचता रहा कि मेरी टीम के लोग कहाँ गए...क्या वे ज़िंदा भी हैं या नहीं? अगर हैं, तो कहाँ होंगे? और जब मैं उस टापू पर पहुँच ही गया था, तो ज़िंदा रहने के लिए कुछ तो करना था। इसलिए मैं निकल पड़ा अपने लिए कुछ खाने की तलाश में।