2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 10

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Chapter 10: जिस रात बर्फ में आग लगी> “वो रात ठंडी थी, लेकिन शेखर का बदन जल रहा था। क्योंकि जिस रात रूह के होंठ बर्फ को चूमते हैं… वहां आग लगती है, और मोहब्बत जलती नहीं — सुलगती है।”---️ Scene: रात 1:11 AM – शून्य डिग्री में खुली खिड़की, लेकिन बदन पर आग की लपटकमरे में बर्फ जैसी हवा घुस रही थी। फर्श पर बर्फ की पतली परत जम चुकी थी। लेकिन शेखर की पीठ पर पसीना बह रहा था — जलता हुआ, भाप उड़ाता हुआ।बाहर बर्फ गिर रही थी, और अंदर उसकी रूह तड़प रही थी।शेखर ने