बरेली की संकरी गलियों में बसा था अंजली का घर — एक पुराना, ईंटों से बना दो-मंज़िला मकान, जिसमें पुरानी सोच की दीवारें नई हवा रोकती थीं। घर के आँगन में तुलसी का पौधा, दीवारों पर धार्मिक कैलेंडर, और कोने में पड़ा था एक पुराना रेडियो — जो सिर्फ़ भजन ही सुनता था।अंजली के पिताजी, हरिराम मिश्रा, पास के मंदिर में पुजारी थे। वह समाज में एक आदर्श व्यक्ति माने जाते थे — धार्मिक, सख़्त और 'इज़्ज़त' के नाम पर कठोर।अंजली की माँ, सावित्री देवी, एक शांत, सहमी हुई महिला थीं, जिनके जीवन की परिभाषा सिर्फ़ परिवार और रसोई था।अंजली