पहली मुलाक़ात - भाग 2

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"तुम्हें किताबें पसंद हैं, लेकिन ज़िंदगी की असली किताब से मिलवाऊँ?"अंजली ने एक दिन कैंटीन में बैठते हुए आरव से पूछा।"कौन सी किताब?" आरव ने चाय की चुस्की लेते हुए मुस्कराकर जवाब दिया।"मेरा मोहल्ला," उसने कहा, और एक लंबी साँस ली, "जहाँ हर खिड़की के पीछे एक समाज बैठा है, जो हर लड़की के सपनों पर निगरानी रखता है।"आरव समझ तो रहा था, पर पहली बार अंजली को इस अंदाज़ में बोलते देखा। उस दिन उसने महसूस किया — अंजली सिर्फ किताबों की समझ रखने वाली लड़की नहीं थी, वह अपने अनुभवों से बनी थी। एक ऐसी लड़की, जो छोटी-छोटी