चंद्रवंशी - अध्याय 5 - अंक 5.2

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दूसरे दिन  “राजा पागल हो गया है क्या?” एक वृद्ध बोला।  “क्यों, क्या किया राजा ने?” वह वृद्ध की पत्नी बोली।  “क्या नहीं, सब कुछ ही खो दिया हमने।” वृद्ध की आशा टूट चुकी थी। वह अपनी छोटी सी कोठरी में रखे ढोलिये पर बैठ गया।  अब तक उसकी पत्नी को वृद्ध की बात समझ में नहीं आई थी। इसलिए वह उससे पूछने जाने लगी, लेकिन उससे पहले ही एक युवक दौड़ता हुआ वहाँ आया।  “मुखिया ओ रमणलालमुखी, पांडुआ गाँव में सिपाही आ गए हैं। चलो, अभी राजा भी आता ही होगा।” वह युवक मुखिया के भाई का बेटा था। रमणभाई पिछले ही दिन राज्य