एक बेटी की कहानी

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---मेरा नाम माया है। एक आम-सी लड़की, जिसके सपनों की कोई कीमत नहीं थी। जब पैदा हुई, तो घर में खामोशी थी – कोई खुश नहीं था कि एक और बेटी आ गई। माँ ने ज़रूर गले लगाया, पर उनकी आंखों में भी डर था – “अब इसको कैसे बचाऊंगी इस समाज से?”बचपन में किताबों से बहुत प्यार था। हर बार जब कोई पूछता, “बड़ी होकर क्या बनोगी?” मैं कहती, “मुझे टीचर बनना है।” लोग हँसते और कहते, “अरे बेटा, पहले रसोई सीखो।” धीरे-धीरे मैंने भी सपनों को रोटियों के नीचे दबा दिया।शादी जल्दी हो गई। 19 साल की थी