दिल्ली की गर्मी अपने चरम पर थी। चारों तरफ़ तपती सड़कों और धुएँ से भरी हवा ने लोगों की मुस्कानें भी जैसे सुखा दी थीं। लेकिन उस दिन शाम को मौसम ने करवट ली—आसमान में काले बादल उमड़ आए, और अचानक ही तेज़ बारिश शुरू हो गई। आरव भागते हुए मेट्रो स्टेशन की सीढ़ियों की ओर दौड़ा। छतरी तो उसने हमेशा की तरह आज भी नहीं ली थी। सीढ़ियों के नीचे थोड़ा सूखा हिस्सा मिला, वहीं खड़ा हो गया। उसके कानों में अब भी ऑफिस की झंझटें गूंज रही थीं, और दिल में एक अजीब सी थकान थी—जैसे कुछ छूट