बरसी का दिन और घर में हवनबरसी का दिन आ चुका था। सानियाल हवेली के आंगन में हवन की तैयारी जोरों पर थी। बड़ी सी चौकी पर पीले और लाल कपड़े बिछाए गए थे, जिस पर चांदी के बड़े-बड़े थालों में पूजा का सामान रखा था। हल्दी, चंदन, फूल, अक्षत, और घी से भरे दीपों की सुगंध पूरे वातावरण में फैल चुकी थी। एक ओर पंडित जी मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे, तो दूसरी ओर नौकर-चाकर व्यवस्था संभालने में व्यस्त थे।दानिश, सफेद कुर्ता-पायजामा पहने, पूरे आयोजन की देखरेख कर रहा था। उसके चेहरे पर गंभीरता और भावुकता दोनों झलक