तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 37

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अधूरे पागलपन की कहानीदानिश अपनी कुर्सी पर गहरे धँसा हुआ था, उसकी उंगलियाँ टेबल पर बेतहाशा चल रही थीं। उसकी आँखें लाल हो चुकी थीं, जैसे कई रातों की नींद छीन ली हो किसी अनदेखे ख्याल ने। सामने स्क्रीन पर समीरा की तस्वीर टिकी हुई थी—एक मुस्कान, जो उसे भीतर तक झंझोर रही थी।उसने धीमी आवाज़ में फुसफुसाया, "तुम मेरी हो, समीरा... हमेशा से मेरी ही थी।"उसके शब्दों में एक अजीब सी मिठास थी, मगर वह मिठास धीरे-धीरे पिघलकर कुछ और बनती जा रही थी—एक जुनून, एक पागलपन, एक दावा जिसे तोड़ा नहीं जा सकता था।वह उठा और केबिन में