तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 36

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प्यार: डर या उम्मीद?लाइब्रेरी में एक पल के लिए खामोशी छा गई। बाहर से आती हल्की हवा के झोंके किताबों के पन्ने हिला रहे थे, जैसे वो भी इस बातचीत का हिस्सा बनना चाहते हों। समीरा किताब को थामे गहरी सोच में डूबी थी, जबकि रिया उसे ध्यान से देख रही थी।"तो?" रिया ने आखिरकार चुप्पी तोड़ी। "क्या तुम हमेशा के लिए प्यार से भागने वाली हो?"समीरा ने धीरे से सिर उठाया, उसकी आँखों में एक अनकहा सवाल था। "मुझे नहीं पता, रिया। लेकिन जब प्यार इतना तकलीफ़ दे सकता है, तो मैं उसे अपनी ज़िंदगी में आने ही क्यों