कतरा कतरा जिंदगी**************** कतरा कतरा जिंदगी मेरी नजर से। यह समीक्षा नहीं , मैं समीक्षा का साहस नहीं कर सकती। यह केवल मं के भाव हैं जो उपन्यास पढ़ने के बाद लफ़्ज़ों में ढले। मुकेश भैया की लेखनी कमाल की है , भाषा का प्रवाह अविरल नदी की चाल जैसा है। अलंकारों के साथ विशेषणों का प्रयोग भाषा की सुंदरता को अप्रतिम सौंदर्य प्रदान करता है। कथानक इतनी सहजता से आगे बढ़ता है कि आरंभ होने से अंत तक पाठक बंधा रहता है। लेखक-श्री मुकेश