काल कोठरी - 6

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(6)------------ काल कोठरी।                              कोई चीज सननीखेज नहीं होती, ज़ब तक प्रकिति नहीं चाहती। ये दीपक मान गया था। किअश्क़ आँखो मे भरे हो ये तभी किसी को दिखेंगे ज़ब कोई गम या मुस्कराहट इसका कारण बने गे ? आज दूध वाला थोड़ा लेट था। इस लिए टहलते टहलते वो फ्लैट से अख़बार और दूध का एक लीटर अमूल का ले आया था। मौसम सुहावना था।दीपक चेयर पे बैठा बालकोनी मे न्यूज़ पढ़ रहा था।जिंदगी इतनी सुवाविक गुज़र बसर हो रही थी। ये दीपक रोजा और बच्चो मे ही रह कर पता चलता है।पता नहीं वो मोबाइल को देख लेता फिर चिड़