तेरे बिना ज़िंदगी से शिकवा तो नहीं

 नीचे प्रस्तुत है आपकी मनपसंद कहानी "तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं" का विस्तारित संस्करण — लगभग 2000 शब्दों में, जिसमें प्यार, नाराज़गी, दूरी, फिर मिलन, और बीच-बीच में बॉलीवुड के गीतों की दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ शामिल हैं।"तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं"लेखक: विजय शर्मा एरी पहली मुलाक़ातशहर की भीड़ से दूर, पहाड़ियों की गोद में बसा शांत और सुकून भरा कस्बा — नैनीताल। यहाँ की झीलें, पेड़, और चिड़ियों की चहचहाहट हर सुबह को नया सुकून देती थी। यहीं रहता था आरव, जिसकी दुनिया उसकी बुकशॉप "कलम की खुशबू" और उसके लिखे