2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 7

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Chapter 7: जिस रात बिस्तर ने सांस ली> "बिस्तर वो जगह होती है जहाँ आराम मिलता है… लेकिन उस रात बिस्तर पर कोई सोया नहीं था, वो खुद जाग रहा था। और जो उसमें करवट बदल रहा था… वो इंसान नहीं था।"--- Scene: रात 2:02 AM – पंखा चलता है, लेकिन हवा नहीं लगतीशेखर की आँखें खुली हुई थीं, पर वो थका हुआ नहीं था। उसका शरीर पसीने से तर, लेकिन कमरा एकदम ठंडा।अचानक बिस्तर ने खुद को हिलाया… जैसे उसमें किसी ने करवट बदली हो। शेखर चौंका नहीं — अब ये रोज़ का खेल था।लेकिन आज कुछ अलग