श्री बप्पा रावल - 10 - निष्कासन

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नवम अध्यायनिष्कासनबादामीहाथ में भाला लिए दौड़ता हुआ एक सैनिक नदी के तट पर सूर्यवंदना समाप्त कर रहे शिवादित्य के पास आया।उसे घबराया हुआ देख शिवादित्य नदी से निकलकर बाहर आया, “क्या बात है?”“आपकी पत्नी, देवी शत्रुपा..। वो संकट में हैं।”शिवादित्य का ध्यान उस सैनिक के मस्तक से बहते रक्त की ओर गया, “ये चोट तुम्हें किसने दी? हो क्या रहा है यहाँ?”“आपके महल में पधारे अतिथि, महाराज विन्यादित्य के पुत्र कुमार जयसिम्हा ने आपकी पीठ में कटार घोंपी है, महामहिम।”उस सैनिक का ये कथन सुन शिवादित्य ने भौहें सिकोड़ते हुए उसका जबड़ा पकड़ लिया, “असत्य कह रहे हो तुम, सम्भव