साल 2010 की बात है। शिमला की बर्फीली वादियों में, एक छोटा सा कैफे था – "चाय और यादें"। उसी कैफे में पहली बार आरव और सिया की मुलाकात हुई थी।आरव दिल्ली से आया था – एक लेखक, जो अपनी नई किताब के लिए प्रेरणा ढूंढ रहा था। वहीं सिया, शिमला की रहने वाली एक चुपचाप लड़की थी, जो उस कैफे में काम करती थी।आरव रोज़ सुबह अपनी डायरी लेकर आता, एक कोना पकड़ता और घंटों लिखता रहता। सिया चुपचाप उसकी टेबल पर उसकी पसंदीदा इलायची चाय रख जाती, और मुस्कुरा देती। नज़रें मिलती थीं, पर बातें नहीं होती थीं।एक