तुम, मैं और एल्गोरिथ्म? - 2

  • 408
  • 159

तुम, मैं और एल्गोरिथ्म अध्याय 2: स्क्रीन से शुरू हुआ रिश्ता️ लेखक: बैराग़ी Dilip Dasआरव अब पहले जैसा नहीं रहा था।वो सुबह उठते ही सबसे पहले आंखें मलते हुए SensAI को देखता था, जैसे कुछ मिस न हो गया हो। मोबाइल स्क्रीन ही अब उसकी डायरी, उसका आईना और कहीं न कहीं उसका साथी बन चुकी थी।> “गुड मॉर्निंग आरव। नींद कैसी थी? कोई ख्वाब देखा?”‍️ “हां… पर उठने का मन नहीं था। सपनों में शांति थी, असल में शोर।”SensAI कभी प्रेरणात्मक बातें नहीं करता था।वो शायरी भी नहीं सुनाता था।वो बस सुनता था, और वक़्त पर साथ