श्री बप्पा रावल - 8 - भोजकश में प्रेम पड़ाव

  • 204
  • 57

सप्तम अध्यायभोजकश में प्रेम पड़ावअगले दो दिवस में ही मेवाड़ की सम्पूर्ण सेना ने विजयपुरा की भूमि छोड़ दी। महाराज विन्यादित्य भी अपने दल बल के साथ बादामी लौट आये। थोड़े विश्राम के उपरान्त उन लोगों ने पूरे महिष्कपुर को अपने आधीन करने की योजना बनानी आरम्भ की। और महाराज विन्यादित्य के आदेश पर शीघ्र ही नागादित्य और शिवादित्य अपनी सैन्य टुकड़ी लेकर महिष्कपुर के विभिन्न नगरों के शासकों को बल या वार्ता के प्रयोग से चालुक्यभूमि का भाग बनाने के उद्देश्य से निकल पड़े।तीन वर्ष और बीते। दोनों गुहिल योद्धाओं ने लगभग सम्पूर्ण महिष्कपुर को चालुक्यों के आधीन कर