पिछले कई दिनों से अपने निज कक्ष में ध्यान के समय यशस्विनी को विचित्र तरह की अनुभूतियां होती हैं।जब उसे लगता है कि आज मैं समाज के लिए कुछ उपयोगी कार्य कर पाऊंगी तो वह ध्यान के अंतिम चरण में बांके बिहारी जी का आह्वान करती है कि वह उसे आसपास के किसी जरूरतमंद व्यक्ति के बारे में बताएं ताकि अगर वह सक्षम हो तो उस व्यक्ति तक सहायता पहुंचा सके। थोड़ी देर के ध्यान के बाद यशस्विनी को दोपहर तक कोई खास प्रेरणा नहीं मिली।वह अपने दैनिक कार्यों