अब आगे.........बबिता परेशान सी वहीं बैठ जाती है..... तभी उसे ध्यान आता है की वो तक्ष के कमरे में ढूंढ़ना भूल चुकी हैं...... बबिता तुरंत तक्ष के कमरे की तरफ बढ़ती है......उसके बढ़ते हुए कदम थोड़े डगमगाने लगे थे आखिर वो एक पिशाच का कमरा है पता नहीं क्या हो सकता है वहां... धीरे धीरे कदम बढ़ाती हुई बबिता ऊपर कमरे की तरफ बढ़ रहीं थीं लेकिन उसके चेहरे पर डर के कारण पसीने की बूंदें छलक रही थी....... बबिता धीरे धीरे कमरे के दरवाजे पर जाकर रुकती है और कंपकंपाते हाथ से दरवाजे को खोल देती है ......पूरे कमरे