श्री बप्पा रावल - 7 - कांचीपुरम का युद्ध

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षष्ठम अध्यायकांचीपुरम का युद्धअगले दिन प्रातः काल शस्त्राभ्यास के उपरान्त कालभोज ने अखाड़े के बाहर रखा मटका उठाया और गटागट उसमें भरा जल पी गया। किन्तु अभी उसने मटका नीचे रखा ही था बेड़ियों में जकड़े एक मनुष्य को घसीटते हुए उसके कदमों में ला पटका गया। भोज ने दृष्टि उठाकर देखा, कि उसे लाने वाले कोई और नहीं हरित ऋषि और भीलराज बलेऊ थे।उसने अपने गुरु को प्रणाम करते हुए प्रश्न किया, “ये सब क्या है, गुरुदेव?”हरित ऋषि ने मुस्कुराते हुए उसके कंधे पर हाथ रखा, “युद्ध की विभीषिका बड़ी भयानक होती है, वत्स कालभोज। जब किसी योद्धा की