ज़हन की गिरफ़्त - भाग 8

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भाग 8: फाइल नंबर 72(जो सना से जुड़ी आखिरी कड़ी थी… और शायद आरव से भी।) अब आरव के लिए सपने, अतीत और वर्तमान में कोई फर्क नहीं रह गया था। हर रात वो एक ही दृश्य देखता — सना कहीं दूर खड़ी, कुछ कहना चाहती थी, लेकिन हवा में उसकी आवाज़ गुम हो जाती थी। हर सुबह उसकी यादों में एक और पन्ना खाली मिलता था। लेकिन आज की रात कुछ अलग थी। जब अस्पताल की घड़ी ने दो बजाए, और पूरा परिसर सन्नाटे में डूबा हुआ था, आरव चुपचाप अपने कमरे से निकला। उसका दिल अब डर से