तेरी अधूरी मुस्कान

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बारिश की उस पहली शाम, जब पूरा शहर भीग रहा था, मैं भीग रहा था सिर्फ तेरी यादों में।हर बूँद मानो तेरे नाम की स्याही लेकर मेरे सीने पर गिर रही थी। मैं वहीं बैठा था — उसी चाय की दुकान के कोने में जहाँ हम पहली बार मिले थे।तू आई थी अपनी सहेलियों के साथ, गुलाबी सलवार-सूट में, खुले बालों में लिपटी हुई सी बारिश। हँसी थी तेरे चेहरे पर — मासूम, सच्ची, और बिल्कुल मेरी ज़िन्दगी जैसी। पहली नज़र में नहीं, पर पहली बात में ही दिल हार गया था तुझसे।तेरी हँसी मेरे लिए दुआ जैसी थी,तेरी बातें