द होस्ट - आलोक सिंह खालौरी

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आम इनसानी प्रवृत्ति के अनुसार हम एक-दूसरे से बात किए बिना नहीं रह पाते हैं। इसी बात को एक दूसरे तरीके से देखते हुए हम पाते हैं कि पहले के घरों में घर के बाहर एक-दो लोगों के बैठने लायक एक छोटा सा प्लेटफार्म टाइप का चबूतरा बना हुआ अक्सर दिखाई दे जाता था जिस पर शाम के समय घर की महिलाएँ बैठ कर अपने आमने-सामने या फ़िर दाएँ-बाएँ के घरों में रहने वाली स्त्रियों से गप्पें मारने, इधर-उधर की चुगली करने और किसी न किसी के आपसी झगड़ों, पारिवारिक कलहों, अफ़ेयरों इत्यादि जैसी ज़रूरी रिपोर्टों को एक-दूसरे तक पहुँचा