त्राटक

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त्राटक के सम्बंध में यहाँ सूत्रकार कहते हैं कि बग़ैर पलक झपकाए किसी लघु लक्ष्य पर टकटकी लगाकर देखते रहना त्राटक है। इसके अभ्यास से शाम्भवी मुद्रा की सिद्धि होती है। नेत्र-विकार का क्षय होकर दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।त्राटक क्रिया को भले ही हठ योग का एक अंग माना गया हो परंतु त्राटक करने वाले कुछ साधक हठयोग के बारे में नहीं जानते किंतु फिर भी इसका अभ्यास कर जीवन को आनंदमय बनाते हैं। सचमुच में त्राटक क्रिया का अपना अलग ही महत्त्व है। त्राटक को दूसरे शब्दों में सम्मोहन (हिप्नोटिज्म) भी कहते हैं। प्रतिदिन अभ्यास करने वाले साधक