माटी मेरे आंगन की

माटी मेरे आंगन की/ कहानीशरोवनदूर क्षितिज में एक किनारे खिसकते हुये जब सूर्य की अंतिम रश्मि ने भी बेबस होकर अपनी आखिरी सां*स ले ली तो इसके साथ ही विशाल नदी कीटम के पुल पर बैठे हुये अर्चन का भी दिल डूब कर रह गया। उसने सोचा कि, कितनी आसानी से बगैर किसी भी संवेदना और दर्द के, चाहे कुदरत हो और चाहे मनुष्य ही क्यों न हो, रोशनी का गला दबा कर अंधकार फैलाने की आदत से कोई भी चूक नहीं सका है. वातावरण पर रात के आने वाले अंधकार की चादर फैलने लगी थी। दिन भर से जी­भर