फोकटिया - 4

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आत्म-साक्षात्कार — जो खोया, वही अब पहचान बना   फोकटिया: लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट   शोर जब थमता है, तब अंदर की आवाज़ें साफ़ सुनाई देने लगती हैं। कमल से हुई दूरी, उसके झूठ, और फिर लोगों का समर्थन—इन सबने राजीव के आसपास की हलचल को शांत कर दिया था। मगर अब असली हलचल उसके अंदर थी।   हर रात, जब वो अपने छोटे से फ्लैट की बालकनी में बैठता, तो चाय का एक कप लेकर वो खुद से सवाल करता, “इतना समय क्यों लगा मुझे यह समझने में कि कुछ रिश्ते सिर्फ आदत होते हैं, ज़रूरत नहीं?”   कमल