भारत की रचना - 18

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भारत की रचना / धारावाहिकअठारहवां भाग        रामकुमार वर्मा की तरफ से, मुक्तेश्वर और उसके आस-पास के इलाकों का माना हुआ वकील पैरवी करने के लिए आ चुका था. क्या हो चुका है, ये तो सब जानते थे, परन्तु अब और क्या होना बाक़ी है, इस बात की उत्सुकता अदालत में आये हुए हरेक व्यक्ति के चेहरे पर थी. फिर सर्व-प्रथम रचना को अदालत में लाया गया. सारे दर्शकों की निगाहें, उस बेबस दुखिया पर टिक कर ही रह गई थीं. एक ही स्थान पर मानो सारी पुतलियाँ स्थिर हो चुकी थीं. रचना चुपचाप आकर कटघरे में अपना सिर